Surdas Ke Pad Class 12th


पद 1 सूरदास पाठ के लेखक के बारे में - by book [ सक्रीनशॉट



सूरदास [पद1]  पाठ के लेखक के बारे में - Short




सूरदास जी भक्तिकाल के एक महान कवि थे |  इनका जन्म 1478 को दिल्ली के निकट सीही ग्राम में हुआ था | इनकी मृत्यु 1583 को पारसौली गोवर्धन में हुआ था |  इनके पिता का नाम पंडित रामदास और माता का नाम जमुनादास था | इनके दीक्षा गुरु का नाम श्री वल्लाभाचार्य थे | इनकी प्रमुख रचनाएँ सूरसागर , सुरसावली , साहित्य लहरी , राधारसकेली आदि है |   

सुरदास पद 1 कविता paragraph 1,2





सूरदास के पद कक्षा 12th अर्थ तथा व्याख्या || Hindi Class 12th काव्यखंड अर्थ - सूरदास पद


प्रस्तुत पद सूरसागर से ली गई है , यह पद वात्स्ल्य भाव के है | इस पद के कवि सूरदास जी है | प्रस्तुत पंक्तियों में सूरदास जी ने मातृ स्नेह का भाव प्रकट करते हुए कहते है की माता यशोदा अपने पुत्र कृष्ण को सुबह होने पर जगा रही है | वह कहती है कि हे ब्रज के राजकुमार ! कमल के पुष्प खिल गये है, कुमुद के पुष्प संकुचित हो गए है , भौंरे कमल के पुष्प पर मंडराने लगे है | 


प्रस्तुत पद सूरसागर से ली गई है , यह पद वात्स्ल्य भाव के है | इस पद के कवि सूरदास जी है | प्रस्तुत पंक्तियों में सूरदास जी ने मातृ स्नेह का भाव प्रकट करते हुए कहते है की माता यशोदा अपने पुत्र कृष्ण को सुबह होने पर जगा रही है | वह कहती है कि हे ब्रज के राजकुमार ! अब जाग जाओ मुर्गा बाँग देने लगे है, पक्षियों के चहकने के आवाज आने लगे है, गौशाला में गाय बछड़ों को दूध पिलाने के लिए रँभाने लगी है |  

प्रस्तुत पद सूरसागर से ली गई है , यह पद वात्स्ल्य भाव के है | इस पद के कवि सूरदास जी है | प्रस्तुत पंक्तियों में सूरदास जी ने मातृ स्नेह का भाव प्रकट करते हुए कहते है की माता यशोदा अपने पुत्र कृष्ण को सुबह होने पर जगा रही है | वह कहती है कि हे ब्रज के राजकुमार ! अब जाग जाओ, चँद्रमा का प्रकाश मलिन हो गया है, और सूर्य निकल आया है | नर नारियाँ प्रातः काल के गीत गाने लगे है | अतः हे श्याम सुन्दर अब उठ जाओ | 

सूरदास के पद कक्षा 12th अर्थ तथा व्याख्या || Hindi Class 12th काव्यखंड अर्थ - सूरदास पद

श्री कृष्ण नन्द की गोद में बैठकर भोजन कर रहे है | वह कुछ कहते है, कुछ धरती पर गिराते है, और इस मनोरम दृश्य को  देखकर नन्द की रानी माँ यशोदा खुश हो रही है | 

श्री कृष्ण नन्द की गोद  में बैठकर भोजन कर रहे है | उनके सामने विभिन्न प्रकार के व्यंजन जैसे बेसन के बाड़े, बरियाँ आदि बने हुए है | वह अपने हाथो से कुछ खाते है और कुछ गिराते  है लेकिन उनकी रूचि केवल दही के पात्र  में अत्यधिक होती है 

श्री कृष्ण नन्द की गोदी में बैठकर भोजन कर रहे है, उन्हें दही अधिक पसंद है | वह मिश्री, दही और माखन को मिलाकर अपने मुँह में डालते है, वह खुद भी खाते है और कुछ नन्द बाबा को भी खिलाते है और यह मनोरम दृश्य देखकर माँ यशोदा धन्य हो जाती है.