कड़्बक पाठ के लेखक के बारे में -
कड़्बक कविता paragraph 1 and 2
प्रस्तुत पंकितयाँ मलिक मो0 जायसी के द्वारा रचित महाकाव्य पद्मावत से लिया गया है इस पंक्ति में कवि जायसी कहते है कि एक आँख के होते हुए भी वे गुणवान है उनकी वाणी ऐसी है की जो भी उनकी काव्य को सुनता है वह मोहित हो जाता है
2) चाँद जईस जग विधि औतारा , दीन्ह कलंक कीन्ह उजिआरा
प्रस्तुत पंकितयाँ मलिक मो0 जायसी के द्वारा रचित महाकाव्य पद्मावत से लिया गया है ा इस पंक्ति में कवि जायसी कहते है कि ईश्वर ने जिस प्रकार से चन्द्रमा में दाग है फिर भी वह संसार को प्रकाशित करता है ठीक उसी प्रकार से कवि में अवगुण होते हुए भी वह अपनी काव्य की प्रकाश को पुरे संसार में फैला रहे है
3) जौ लहि अंबहि डाभ न होई , तौ लहि सुगंध बसाई न सोई
प्रस्तुत पंक्तियाँ मलिक मो0 जायसी के द्वारा रचित महाकाव्य पद्मावत से लिया गया है इस पंक्ति में कवि जायसी कहते है कि जब तक आम में नुकीली डाभ यानि मंजरी नहीं होती तबतक उसमे सुंगध नहीं आती है
4) जौ सुमेरु तिरसूल बिनासा , भा कंचनगिरि आग अकासा
प्रस्तुत पंक्तियाँ मलिक मो0 जायसी के द्वारा रचित महाकाव्य पद्मावत से लिया गया है इस पंक्ति में कवि जायसी कहते है कि जबतक पर्वत को त्रिशुल से नष्ट नहीं किया जाता तबतक वो सोने का नहीं होता है
5) जौ लहि घरी कलंक न परा , कांच होई नहीं कंचन करा
प्रस्तुत पंक्तियाँ मलिक मो0 जायसी के द्वारा रचित महाकाव्य पद्मावत से लिया गया है इस पंक्ति में कवि जायसी कहते है कि जबतक घरिया में सोने को गलाया नहीं जाता, तबतक वह कच्चा धातु सोना नहीं होता
6) एक नैन जस दरपन औ तेहि निरमल भाउ ,
सब रूपवंत गहि मुख जोवहि कड़ चाउ
प्रस्तुत पंक्तियाँ मलिक मो0 जायसी के द्वारा रचित महाकाव्य पद्मावत से लिया गया है इस पंक्ति में कवि जायसी कहते है कि उनकी एक आँख दर्पण की तरह निर्मल और स्वच्छ भाव वाले है उनकी इसी गुण के कारण बड़े बड़े रूपवान लोग उनके चरण को पकड़ कर कुछ पाने की इच्छा रखते है
7) मुहम्मद कवि यह जोरि सुनावा , सुना जो प्रेम गा पावा
जोरी लाड़ रकत कै लेई , गाढ़ी प्रीति नयनन्ह जल भेई
प्रस्तुत पंक्तियाँ मलिक मो0 जायसी के द्वारा रचित महाकाव्य पद्मावत से लिया गया है ा इस पंक्ति में कवि जायसी कहते है कि वे इस काव्य की रचना कर के जब लोगों को सुनाते तो उन्हें भी प्रेम की पीड़ा का अनुभव करते हैं कवि इस काव्य को रक्त की लेई से जोड़ा है और आँखों से आँसुओ से भीगाया है
कड़्बक कविता paragraph 2 अर्थ
1) मुहम्मद कवि यह जोरि सुनावा , सुना जो प्रेम गा पावा
जोरी लाड़ रकत कै लेई , गाढ़ी प्रीति नयनन्ह जल भेई
प्रस्तुत पंक्तियाँ मलिक मो0 जायसी के द्वारा रचित महाकाव्य पद्मावत से लिया गया है इस पंक्ति में कवि जायसी कहते है कि वे इस काव्य की रचना कर के जब लोगों को सुनाते तो उन्हें भी प्रेम की पीड़ा का अनुभव करते हैं कवि इस काव्य को रक्त की लेई से जोड़ा है और आँखों से आँसुओ से भीगाया है
2) औ मन जानि कबित अस कीन्हा , मकु यह रहै जगत मह चीन्हा
कहाँ अल्लाउद्दीन सुल्तान , कहँ राघौ जेई कीन्ह बखान
कह सुरूप पद्मावती रानी कोई न रहा, जग रही कहानी
प्रस्तुत पंक्तियाँ मलिक मो0 जायसी के द्वारा रचित महाकाव्य पद्मावत से लिया गया है इस पंक्ति में कवि जायसी कहते है कि मैंने इस काव्य की रचना यह सोचकर किया ताकि मेरे ना रहने पर भी इस संसार में मेरी आखरी निशानी बानी रही अभी ना ही रतनसेन है, ना ही रूपवती पद्मावत, ना ही बुद्धिमान सुआ और ना ही अल्लाउद्दीन है फिर भी इनका यश कहानी के रूप आज भी है
3. धानी सोई जस कीरति जासू ] फूल मरै न बासू
प्रस्तुत पंक्तियाँ मलिक मो0 जायसी के द्वारा रचित महाकाव्य पद्मावत के अंश है जिससे कवि कहते है की वह पुरुष धन्य है जिसकी कीति और प्रतिष्ठा इस संसार में है उसी तरह रह जाती है जिस प्रकार पुरुष के मुरझा जाने पर भी उसका सुगंध रह जाता है
4. केई न जगत जस बेंचा , केइ न लीन्ह जस मोल
जो यह पढ़ै कहानी , हम संवरै दुइ बोल
प्रस्तुत पंक्तियाँ मलिक मो0 जायसी के द्वारा रचित महाकाव्य पद्मावत के अंश है जिससे कवि कहते है की इस संसार में यश न हो तो किसी ने बेचा है और न ही किसी ने ख़रीदा है कवी कहते है जो मेरे केलेज़ के खून से रचित कहानी को पढ़ेगा वह हमे दो शब्दो में याद रखेगा
1 Comments
Nice 👍👍👍
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